• महात्मा फुले और सत्य शोधक समाज: एक नई दिशा -
11 अप्रैल 1827 को जन्मे महात्मा जोतिबा फुले एक महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और विचारक थे। उन्होंने भारतीय समाज में छुआछूत, जातिवाद और महिलाओं के लिए शिक्षा की कमी के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1873 में उन्होंने 'सत्य शोधक समाज' की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में अन्याय और असमानता को दूर करना था।
उच्च वर्ग निम्न वर्ग पर अत्याचार करता था। और उनके साथ अमानवीय व्यवहार करता था। ब्राह्मण शूद्रों और अतिशूद्रों पर धार्मिक, मानसिक और सामाजिक अत्याचार करते थे। शूद्र अतिशूद्र जाति के किसी भी व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार नहीं था।
दलित वर्ग हर तरफ से पीछे था। और शुद्र लोक पूजा पाठ, देव धर्म, अंधविश्वास, दान देना इत्यादि रीति-रिवाजों में लीन थे । इसके लिए शूद्रातिशूद्र निम्न वर्ग को संगठित होकर ब्राह्मण वर्चस्व के विरुद्ध संघर्ष करना चाहिए।
महात्मा फुले ने 24 सितंबर 1873 को पुणे में सत्यशोधक समाज की स्थापना की, क्योंकि बहुजन समाज को वरिष्ठ वर्ग के खिलाफ संगठित प्रतिरोध करना चाहिए। और उनके आधिपत्य को तोड़ना चाहिए क्योंकि वे आसानी से प्राप्त रियायतों को नहीं छोड़ेंगे।
🔹सत्यशोधक समाज के सिद्धांत -
1) सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं और ईश्वर ही उनका माता-पिता है।
2) जिस तरह माता-पिता से मिलने के लिए किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं होती है। उसीप्रकार ईश्वर से प्रार्थना के लिए किसी पुजारी या मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं होती।
• उपरोक्त सिद्धांतों को स्वीकार करने पर कोई भी व्यक्ति सत्य शोधक समाज का सदस्य बन सकता है।
🔹सदस्य बनने पर ली जाने वाली शपथ -
सभी मनुष्य एक ईश्वर की संतान हैं और वे मेरे भाई-बहन हैं, मैं उनके साथ मानवीय व्यवहार करूंगा। भगवान की पूजा, भक्ति,
ध्यान अथवा धार्मिक अनुष्ठानों के समय मुझे किसी पुजारी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मैं अपनी बेटि और बेटेको पढ़ाऊंगा।
🔹महात्मा फुले और सत्य शोधक समाज: एक नई दिशा-
11 अप्रैल 1827 को जन्मे महात्मा जोतिबा फुले एक महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और विचारक थे। उन्होंने भारतीय समाज में छुआछूत, जातिवाद और महिलाओं के लिए शिक्षा की कमी के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1873 में उन्होंने 'सत्य शोधक समाज' की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में अन्याय और असमानता को दूर करना था।
🔹समाज की स्थापना एवं उद्देश्य
इस समाज की स्थापना निम्न वर्गों को गुलामी से मुक्त कराने और उनमें समता, बंधुत्व और स्वतंत्रता के विचारों को स्थापित करने के लिए की गई थी। सत्यशोधक आन्दोलन एक परिवर्तनकारी वर्ग एवं रचनात्मक आन्दोलन था।
सत्य शोधक समाज की स्थापना महात्मा फुले ने महाराष्ट्र में की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ना और समाज के सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना था। उनका मानना था कि शिक्षा समाज में असमानता को खत्म करने का एक प्रमुख साधन है।
🔹कार्य और प्रभाव
महात्मा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने समाज में महिला शिक्षा के सुधार के लिए काफी प्रयास किये। वह भारत में महिला शिक्षा का पहला विद्यालय बन गया। सत्यशोधक समाज ने जातिगत भेदभाव के खिलाफ और समतामूलक समाज के निर्माण की दिशा में कई अभियान चलाए।
🔹विरासत और प्रेरणा
महात्मा फुले के विचार आज भी कई समाज सुधारकों के लिए प्रेरणा हैं। उनके काम ने समाज के कई उत्पीड़ित वर्गों को आवाज दी और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। सत्य की खोज करने वाले समाज की विचारधारा समानता, न्याय और मानवाधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण बनी हुई है।
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